‘‘वस्तुतः जब गठबन्धन की राजनीति भारतीय राज्य व्यवस्था को नियति के रूप में मजबूरी प्रदान करती जा रही है, तो आवश्यकता इस बात की है कि तमाम क्षेत्रीय दल भी ठोस राजनीतिक विचारधारा और कार्यक्रम लेकर ही केन्द्रीय सरकार में भगीदारी का निर्वहन करें। गठबन्धन के घटकों को अपने आप को इस दिशा में मजबूत करना होगा और मानसिक रूप से तैयार करना होगा कि वे राष्ट्रीय हित के सम्मुख क्षेत्रीय हितों को तिलांजलि देने का साहस दिखा सकें। उन्हें भ्रष्टाचार एवं राजनीति में अपराधीकरण को बढ़ावा देने से स्वयं को दूर रखना ही होगा। व्यक्ति-पूजा के स्थान पर सिद्धांतों एंव नैतिक मूल्यों पर आधारित राजनीतिक दलो का गठन करना होगा। इसी स्थिति में पहुंचकर गठबन्धन की राजनीति लोकतंत्र की सच्ची हिमायती बन सकती है।’’
हरविन्द्र सिंह. भारत में अस्मिता की राजनीति का उदय एक विषलेशण. Int J Political Sci Governance 2023;5(2):174-176. DOI: 10.33545/26646021.2023.v5.i2c.279